tag:blogger.com,1999:blog-12265485969633999992024-02-07T19:46:00.023-08:00जज़्बात-कोहरे में कैद ज़िन्दगी..ZINDGI KE ANCHHUYE PAHALUO KI ANOKHI DASTAN KA WASTAanil ayaan shrivastavahttp://www.blogger.com/profile/18040630105823530379noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-1226548596963399999.post-22147290587041846412012-05-26T19:42:00.002-07:002012-05-26T19:42:18.752-07:00जज़्बात -०४<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">जज़्बात -०४ <br />
दो दिन पहले मेरी रश्मि से बात हुयी जब मैंने सिर्फ इतना मेसेज किया की मेरी तबियत सही नहीं है और मई सिर्फ इतना जानना चाहता हूँ की बात करनी है भी या सिर्फ बहाना बना कर टाल दियाहै. तब उसने कॉल किया और बताया की यदि उसे बात बंद करनी होती तो वो सीधे बात बंद कर देती .<br />
इस वक्त वो ज्यादा व्यस्त है. इसलिए वो ज्यादा वक्त अपनी फॅमिली के लिए दे रही है, क्योकि उसके यहाँ एक प्रोग्राम है. उसके बाद जब भी उसे वक्त मिलेगा वो बात करेगी . उसके बाद उसने फ़ोनरख दिया. उसे बहुत काम थे, <br />
पर मेरा मन नहीं मानता है,लगता ही नहीं है कही, काम करने का मन ही नहीं होता है, सिर्फ ये लगा रहता है की किसी तरह उससे बात हो जाये. ये संभव नहीं है, लगातार इन्तजार अखरने लगता है. मन नहीं लगता है, सिरफ वाही जिंदगी जी रहे है,. मैगज़ीन का काम भी लगभग पूरा होने की कगार में है,उसके बाद लगता है की मै मैहर निकल जाऊं .अब यहाँ मन नहीं लगता है, बात करने वाला ही कोई नहीं है, अकेले खामोश होकर चुप रहने का मन करना है. पर कब तक चुप रहूँ ..ये समझ में नहीं आता है,.<br />
हकीकत तो यह है की यदि अपने सबसे नजदीकी शख्स से बात न हो तो फिर साडी दुनिया आप के साथ हो जाये तो भी सब बेगाना सा लगता है मै ये जानता हूँ की वो मेरी नहीं है. मेरी लाइफ में नहीं आसकती है फिर भी मेरा उससे इतना लगाव क्यों है. क्यों है, क्यों मै उसको भूल नहीं पाता हूँ. ये सिर्फ और सिर्फ मन की विवशता है , और कुछ नहीं .हम छह कर भी कुछ नहीं कर पते है, बेबस है दोस्तों और दोस्ती के सामने.<br />
</div>anil ayaan shrivastavahttp://www.blogger.com/profile/18040630105823530379noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1226548596963399999.post-25757225550245054042012-05-21T18:24:00.001-07:002012-05-21T18:24:13.392-07:00जज़्बात -०३<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
जज़्बात -०३ <br /><br /> गर्मी की छुट्टियाँ ऐसे ही निकल रही है,,,,, जब कुछ काम न हो तो मई बीमार पड़ने लगता हूँ और वही हो भी रहा है. बिन काम, के थकावट है और थकान कम होने का नाम भी नहीं ले रही इस बार तो लगता है की डॉक्टर की शरण में जाना ही पड़ेगा.<br /> कल ,मेरी राशी से बात हुयी वो टिट फॉर तित करने में लगी हुयी है,अब ओ मुझसे जून में बात करेगी. मैंने कहा की अपने घर के प्रोग्राम में इतना व्यस्त रहने कया क्या मतलब की ५ मिनट भी न निकला जा सके. हर उसने अपने मन की बात कही. मैंने सर इतना ही कहा की जब रोज बात होती है तो ठीक यदि १५ दिनों की बाद बात करोगी तब तो होगया... कहानी ख़त्म. वैसे भी मन नहीं लगता है. इन ४ दिनों के बात न करने पे/ तो १५दिन कैसे गुजरेगे.. पर उसका रेस्पोंस कुछ खास नहीं था.उसने हम्म कह कर सर इतना कहा की मेरे पास अभी टाइम नहीं है. बाद में देखते है. मैंने अपनी बात सिर्फ इतना कहकर ख़त्म की प्लीस बात करते रहो. और मैंने कॉल ख़त्म कर दी,<br /> पर मुझे नहीं लगता की वो बात करेगी जिद्दी किस्म की है. ठान लिया तो फिर कुछ भी हो जाये तो भी बात नहीं करेगी.<br />
अब मुझे अपनी स्कूल की याद आरही है. मै मैहर जाना चाहता <br />हूँ . अब यहाँ मन नहीं लगता है. पत्रिका का काम पूरा हो जाये तो मै मैहर चला जुगा... यहाँ मै बोर हो रहा हूँ...वहाँ पे नए लोग नया स्कूल और नयी जगह.... है.. अप्रैल में उनके साथ २० दिन गुजरे और उन्हें अपना बनाया था. वहा पर पाण्डेय सर और शिव सर से दोस्ती बहुत जल्दी हो गयी....थी... और आस पास के लोगो से भी दोस्ती अच्छी हो गयी थी. वहाँ के काम और यहाँ के परिस्थितियाँ बहुत अलग है,<br />यहाँ पे मै निस्फिक्र हो जाता हूँ. पर वहा उतना ही तेज काम करने वाला.... मेरे वहा के दोस्तों का फ़ोन आता रहता है.. पर मैयही कहता हूँ की छुट्टियों के बाद मिलते है,<br /> मुझे आज भी यद् है. की अप्रैल में जब मै वहा कमरा नहीं लिया था तो तीन दिन पाण्डेय सर और शिव सर मेरे साथ कमर खोजे थे. और वहा सिफत होने के बाद वो सब लोगो ने मेरी मदद की. कभी कभी तो खाना भी उन्ही के यहाँ हो जाता था., सुबह और शाम को घूमना काम करना और आराम करना... न कोई टेंशन और न कोई परेशानी बस एक ही तरीके की सिस्टेमैटिक लाइफ ..............<br /><br /><br /></div>anil ayaan shrivastavahttp://www.blogger.com/profile/18040630105823530379noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1226548596963399999.post-1760825194203822272012-05-18T19:47:00.003-07:002012-05-18T19:47:55.303-07:00जज़्बात -<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span style="color: magenta;">जज़्बात -०२ </span><br /><br /><span style="color: #741b47;">कई दिनों से मेरी रश्मि से कोई बात नहीं हुयी. पता नहीं क्यों. उसके यहाँ परगम है. और वो उसमे काफी व्यस्त है. पर पहले भी व्यस्त रहते थी वो. पहले भी बात करती थी बाहर जाती थी तो भी बात करती थी. भले ही ५ मिनट ही सही. </span><span style="color: #741b47;"><br /></span><span style="color: #741b47;">मुझे तो लगता है की सारी बात सिर्फ और सिर्फ उसके घर पढ़ने को ले कर है. मैंने मना किया था की मुझे मत बुलाओ वरना फिर कोई न कोई बवाल खड़ा करोगी. lekin है अपने परिवार के लिए दोस्ती को निपटा दिया . गिफ्ट भी दिया और बात भी करना बंद कर दी. वजह तो बताई ही नहीं. कहती है की अभी उसके बाद मेरे लिए टाइम नहीं है, और मेरे पास इतना कम टाइम होने के बाद उसके घर के बच्चे का प्रोजेक्ट जितना हो सका कोम्प्लेते करवाया. अब पत्रिका उसके घर के बच्चे से ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं है. उसके बाद भी मै गया अपना वक्त निकाल कर, सब उसकी वजह से किया था मैंने. पर उसके बाद उसने एक बार भी सम्पर्क नहीं किया.</span><span style="color: #741b47;"><br /></span><span style="color: #741b47;">मैंने मैसेज किया तो भी उसका कोई जवाब नहीं दिया. फ़ोन भी नहीं उठाया..</span><span style="color: #741b47;"><br /></span><span style="color: #741b47;">उसे बात करना बंद करना था तो मुझे कह देती तो वैसे भी मै कुछ नहीं कहता. उसकी ज़िन्दगी है वो चाहे जितना जिए.. जिसके साथ जिए. मैंने तो नहीं कहा था की मुझसे दोस्ती रखो.</span><span style="color: #741b47;"><br /></span><span style="color: #741b47;">पर मेरा मन आज भी यही कहता है की वो मुझसे बात जरूर करेगी. कब करेगी ये नहीं पता.जिसने मेरे बढने के लिए अपनी पोक्केट मोनी के रुपये मुझे दिया. मेरे मना करने के बावजूद वो मेरी हर कदम पे मेरा साथ दिया.. अपने ससुराल से संघर्ष करके मेरे से बात करती रही. मेरी हर ख़ुशी में वो सरीख हुयी और गम में मुझे हर पल फ़ोन किया. मिली नहीं पर पिछले ६ सालो के एक भी पल ऐसा नहीं था जब उसने मुझे सपोर्ट किया... मेरी कितनी बार उससे बहस हुयी पर उसने आज तक बात बंद नहीं की. जिसने आज तक मेरी खुशियों के लिए खुद संघर्ष किया पर मेरी ख़ुशी में आंच तक आने नहीं दी.</span><span style="color: #741b47;"><br /></span><span style="color: #741b47;"> हर वक्त मेरी जॉब से लेकर मेरी सफलता तक उसने मेरा सुप्पोर्ट किया. सचिन सर के यहाँ भी जाने के लिए उसने मेरे हर पल में मदद की थी. सचिन सर की क्लास में जाना उसके जन्मदिन में उसके द्वारा लिया गया गिफ्ट था. मेरा वक्त जो वो अपने अनुसार मुझे सुधरने के लिए दचिन सर को दी. उनकी फीस भी दी. मेरी इंग्लिश स्पोकेन से लेकर यान ग्रुप बनाने. तक में वो मेरा हर पल साथ दिया ,</span><span style="color: #741b47;"><br /></span><span style="color: #741b47;">अपनी ससुरल में रहकर . मेरी उनसब से पहचान करवाई. मेरा समर्थन किया.</span><span style="color: #741b47;"><br /></span><br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEja_ROjCYM0u6bbHBEm8ROGoE9pL4YE1_fQaqyNAj-JV8nZKJUPhk6HUXW5CIEQK-WBEa-V450MgFTn0CQhen-_LDj4wtFZZYswRSgKshnba1bvZLZwdHQuDRw3L-VIppXj2zyHrAImGgAM/s1600/photo0944_001.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEja_ROjCYM0u6bbHBEm8ROGoE9pL4YE1_fQaqyNAj-JV8nZKJUPhk6HUXW5CIEQK-WBEa-V450MgFTn0CQhen-_LDj4wtFZZYswRSgKshnba1bvZLZwdHQuDRw3L-VIppXj2zyHrAImGgAM/s1600/photo0944_001.jpg" /></a></div>
<span style="color: #741b47;">फ्रेंडशिप डे से लेकर बर्थडे तक मुझ तक कार्ड्स और गिफ्ट पहुचाये. मै जन्मदिन कभी नहीं मनाया पर उसने मेरे से जिद करके ट्रीट ली.</span><span style="color: #741b47;"><br /></span><span style="color: #741b47;"> मुझे द्रेस्सिंग सेन्से से लेकर बेस्ट लूकिंग सेन्से तक बताया. एक अमीर इन्शान कैसे बन सकता है कोई मिडिल क्लास परसन ये भी बताया.</span><span style="color: #741b47;"><br /></span><span style="color: #741b47;">मुझे आज भी याद है जब मैंने उसे पहला जन्मदिन का तोहफा दिया था/ और ये कह दिया की ये मेरी औकात है हो सकता है पसंद आये या नहीं. क्योकि वो बहुत अमीर घर से थी. तो वो काफी नाराज हुयी थी.. बाद में उसने मेरी हथेली चूम कर मुझे थैंक्स कहा था.</span><span style="color: #741b47;"><br /></span><span style="color: #741b47;"> पर न जाने क्यों आज क्या होगया की इतने सालो में मेरा अनुभव ये कहता है की वो २-३ दिन से ज्यादा दिन मुझसे बात किये बिना नहीं रही. वो जानती है की मै सब्र नहीं रख पाता हु. मेरे अन्दर ये सबसे बड़ी कमी है, जब मूड ऑफ हो तो कुछ भी होसकता है. पर इस बार पता नहीं वो क्या चाहती है. क्यों ऐसा कर रही वो मुझसे ६-७ साल बड़ी है. पर कभी गुरूर नहीं किया .</span><span style="color: #741b47;"><br /></span><span style="color: #741b47;">उसको एक बात पे ज्यादा गुस्सा आता है की जब मै पूंछता हु की बात कब करोगे. कल बात करोगे,</span><span style="color: #741b47;"><br /></span><span style="color: #741b47;">जब भी वो मुझसे नाराज हुयी तो सिर्फ इस लिए ही. पर इस बार तो उसने अंतिम bar मुझसे यही कहा की अभी काम की बात करो. व्यस्त हू बाद में बात करूंगी. बत बाद कब होगा ये बात न मुझे पता है और यदि उससे पूंछो तो गुस्सा हो जातीहै.:) ,,,,,,, इस बार तो उसने यहाँ तक कह दिया की अभी मै बात नहीं कर सकती. कब तक नहीकर सकती पता नहीं. अभी मेरा तुमपे कोई इंटरेस्ट नहीं है. बाद में फिर एक और बार बात की पर उस वक्त वो वाकये ज्यादा व्यस्त थी. पर कब बात करेगी ये अभी भी राज है.अजीब दास्ताँ है पता ही नहीं की कया होने वाला है. इस वजह से पिछले ३० घंटे से मेरा मूड बहुत ख़राब है. पर ये सवाल बार बार मेरे मन में उठ रहा है की. कही उसने मुझसे दोस्ती ख़त्म तो नहीं कर दो. जो आने वाला वख्त बताएगा..... (जारी है .......)</span></div>anil ayaan shrivastavahttp://www.blogger.com/profile/18040630105823530379noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1226548596963399999.post-26419464523432534502012-05-17T03:42:00.000-07:002012-05-17T03:42:06.552-07:00जज़्बात -१<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiaF1Rf_k-8qynOB2hgkhyVzGTHHYKIH8omLF9XVIJBBKbcijKZFk4WsqZtYlQNp-b6YnSTkujYcTQQY1GgTHM1GlEeaaTjk0DYX2ztAtVh7lDGUBDc37J48oiVu1cNXMN3P4DQvYi70_Q/s1600/photo0944_001.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="240" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiaF1Rf_k-8qynOB2hgkhyVzGTHHYKIH8omLF9XVIJBBKbcijKZFk4WsqZtYlQNp-b6YnSTkujYcTQQY1GgTHM1GlEeaaTjk0DYX2ztAtVh7lDGUBDc37J48oiVu1cNXMN3P4DQvYi70_Q/s320/photo0944_001.jpg" width="320" /></a></div>
<strong>जज़्बात -१ </strong><br /><span style="color: purple;">आज मन नहीं लग रहा है न जाने क्यों... <br />जिंदगी भी बेवकूफी भरी है...<br />बारहवी पास किया तो सोचा बायो विषय लेकर कम से कब डॉक्टर तो बन ही जायेगे. पर घर वालो के पास रुपयों की कमी और गरीबी के चलते गाँधी मेडिकल कॉलेज में दाखिला नहीं हो पाया. अपने शहर के कॉलेज से बी. एस सी बायो से किया. मेडिकल का ख्वाब ख्वाब ही रहा.<br />कॉलेज में एन सी सी ली ताकि हो सकता तो आर्मी में जाता. पर वह भी किश्मत ने साथ नहीं दिया. आर डी सी कैंप में आई साईट कमजोर होने की वजह से रेपुब्लीक डे परेड नहीं कर पाया. और एन . सी सी. सी प्रमाण पत्र से ही काम चलाना पड़ा.<br /> बी.एड किया की एक अच्चहा टीचर बन जायेगे. उसमे भी जगदो जहद जारी है.<br /><br />कॉलेज में न चाहते हुए भी मुझे एक लड़की से मोहब्बत हो गयी. जिसका नाम था खुशबू ,, शादी के लिए बात की तो उसने संस्कारो की दुहाई देकर बात टाल दी.. फिर वही शुरू हुआ शेरो शायरी का दौर. पूरी जवानी के शुरूआती दौर में उस्तादों से शेरो शायरी और फिर कविसम्मेलं और मुशायरो का दौर शुरू हुआ... घर वालो की नाराजगी बढती चली गयी...खुशबू के जाने के बाद मेरा धयान केंद्रीय विद्यालय की तैयारी के में लग गया, इधर स्कूल में पढ़ाते पढ़ाते मझे सतना के कई नामी गिरामी लोगो से परिचय हुआ. सब मुझे अच्छी तरह से जानने लगे... इस परिचय में मेरी सूरत मेरी काफी सहायक रही. फिर शुरू हुआ एक और नया दौर जिन्दगीका. एक बार<br /> केंद्रीय विद्यालय के टी जी टी बायो के एक्साम फॉर्म के लिए मै बुक स्टाल में खड़ा बात कर रहाथा. की वहा पे एक और लड़की से मेरी दोस्ती हुयी जिसका नाम था रश्मी.<br />वो भी इसी तरह की कुछ तैयारी कर रही थी.. धीरे धीरे बाते शुरू हुयी मुलाकाते शुरू हुयी और शायद वो मेरे तजुर्बे के अनुसार सच्ची मोहब्बत थी धीरे धीरे हमदोनो एक दुसरे को पसंद करने लगे... लम्बे अरसे के बाद उसने मुझे बताया की उसकी एन्गाजेमेंट कही हओ चुकी है. पर मुझसे मिलने के बाद वो मुझे अपना दोस्त बनाये रखना चाहती है. हमेशा के लिए. शादी के बाद भी... उसने वादा किया की वो मुझसे दोस्ती कभी नहीं तोड़ेगी. हमेशा मेरा साथ देती रहेगी. मरते दम तक. पर मै भी अपनी जिंदगी उसकी वजह से तबाह न करू. अपनी जिन्दगी के लिए एक अच्छा लाइफ पार्टनर खोजू. और उसे उतना ही प्यार दू जितना मैंने उसे किया था. वरना वो मुझसे दोस्ती तोड़ देगी ... उसवक्त मैंने उसकी हर बात को एक वादे की तरह मानते हुए. वैसे ही किया. लगभग पांच साल हो गए. वो आज भी दोस्ती निभा रही है. उसने मुझे अपनी ससुराल में त्युसन भी दिलवाया. मेरी मदद की. मेरे हर फैसले में अपनी राय दी. मेरे ग्रुप चलाने में मेरी हमेशा मदद की.<br />जब भी मै दुखी हुआ तो मेरे दुःख में सरीख हुयी. ख़ुशी में शामिल हुयी. उसके मायके और ससुराल में मेरे अच्छे सम्बन्ध है. उसकी वजह से उसने मुझे सेंत क्लारेट स्कूल में जॉब भी दिलवाई.. हमेशा फ़ोन में बात भी करती है. पर न जाने क्यों उसकी वजह से मुझे कुछ अच्छा नहीं लगता है.......</span><span style="color: #38761d;">.(जारी है....)</span><span style="color: purple;"><br /></span></div>anil ayaan shrivastavahttp://www.blogger.com/profile/18040630105823530379noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1226548596963399999.post-17078461339200846822012-05-07T17:59:00.001-07:002012-05-07T18:07:48.665-07:00AAJ KI ANKAHI<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<i><b>WAKHT LAGATAR GUJAR RAHA HAI.. PATRIKA KA KAAM SHURU HO GAYA HAI. PAHLE SAAL KI ANTIM PRARTUTI HAI.</b></i><br />
<i><b>KAL APNI EK PURANI DOST KE GHAR JANE KA MAUKA MILA. BT USSE MULAKAT NAHI HO PAYI..</b></i><br />
<i><b>PATHAK MANCH KI AGLI GOSTHI ISI SATURDAY K DECIDE HAI.. IS ORGANIZATION ME PROBLEM YE HAI KI PATHAK HI KAM HAI... MAIHAR ME BHI PATHAK MANCH MERE JANE SE ACTIVE HOGAYA.</b></i><br />
<i><b>KAL MAN KUCH UDAS SA THA. IS LIE KUCH LIKHNE KA MAN HI NAHI HUA.BAS FB ME KUCH POST KIA VO AB LIFE KII JAROORAT BANTI JA RAHI HAI....</b></i><br />
<i><b>SUMMAR VACATION KA WAKT KAFI LAMBA HAI KUCH MONEY EARNING KA UPAAY KHOJ RAHA HU. ISI BAHANE KUCH NAYE RASTE NIKAL AAYEGE.</b></i><br />
<i><b>ISI SUNDAY KO AAYUSH PARV KE VIMOCHAN KI DATE BHI DECIDE HUI. YE PAHLI MEDICAL MAGZINE THI JISKA EDITION MAINE KIA.</b></i><br />
<i><b>PARSO GURU JI SE KAFI DER TAK SHABD SHILPI KO AAGE BADHANE AUR FAMOUS KARNE KE TAREEKO PE LAMBI CHARCHA HUI.....</b></i><br />
<i><b> KAL KAFI DER SE RAAT ME NEEND AAYI... MAN KI UDASI KA EK WAJAH TO SAMAJH ME AAYI SAYAD MAI APNI RAB SE BAAT KARNA CHAHTA THA BT, US TAREEKE KI BAAT NAHI HO PARAHI THI. JO KAL SHAM KO HO GAYI ,SALI MOHABBAT BHI KAMBHAKT CHEEJ HAI ZINDGAI ME............... KUCH ADHURA ADHURA SA RAHTA HAI JAB TAK KUCH ACHCHA NA MILAN NA HO JAYE,.,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, ANIL AYAAN. </b></i></div>anil ayaan shrivastavahttp://www.blogger.com/profile/18040630105823530379noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1226548596963399999.post-45346231631842198152012-03-09T07:10:00.000-08:002012-03-09T07:10:00.859-08:00<blockquote><b></b></blockquote>KAL KOTHI KE KAVI SAMMELAN KE BAAD AAJ KA REST AUR USKE BAD KAL HOGI ORCHHA CHHATARPUR KI SAIR,,,,, APNE SABHI TEACHERS STAFF KE SATH..... AUR FIR NAYE SUBAH KE SATH AGLA SUNDAY SATNA ME HOGI....
anil ayaan shrivastavahttp://www.blogger.com/profile/18040630105823530379noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1226548596963399999.post-275317948153400362011-12-03T05:23:00.001-08:002011-12-03T05:23:16.507-08:00ek bat auranil ayaan shrivastavahttp://www.blogger.com/profile/18040630105823530379noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1226548596963399999.post-73465689366272533712011-10-16T06:43:00.000-07:002011-10-16T06:43:20.363-07:00Page: two....... Meri kahani....Samvida ke sare forms bhar chuka hu....<br />
Ummed hai ki pass hone me jyada dikkat nahi honi chahiye..<br />
<br />
Is baar mujhe samiksha me mujhe january ke lia manu sharma ka upnyaas. Ekling ka singhaashan.. Ki samiksha karne ko m.p. Sanskriti parisahad. Satna pathak manch ke dwara di gai.<br />
<br />
Dosti ke bare me ek uljhan rahi thi ki mujhe apni friend se dosti karni chahiye ya nahi... Bt. Dosti todi na ja saki.anil ayaan shrivastavahttp://www.blogger.com/profile/18040630105823530379noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1226548596963399999.post-81056904301756809812011-10-08T17:57:00.000-07:002011-10-08T17:57:42.329-07:00Page:01 jo ankaha hi raha.Bahut kuch kahne ki koshish karuga jo kabhi ankaha aur ansuna rah gaya....anil ayaan shrivastavahttp://www.blogger.com/profile/18040630105823530379noreply@blogger.com0