Thursday, May 17, 2012

जज़्बात -१

जज़्बात -१
आज मन नहीं लग रहा है न जाने क्यों...
जिंदगी भी बेवकूफी भरी है...
बारहवी पास किया तो सोचा बायो विषय लेकर कम से कब डॉक्टर तो बन ही जायेगे. पर घर वालो के पास रुपयों की कमी और गरीबी के चलते गाँधी मेडिकल कॉलेज में दाखिला नहीं हो पाया. अपने शहर के कॉलेज से बी. एस सी बायो से किया. मेडिकल का ख्वाब ख्वाब ही रहा.
कॉलेज में एन सी सी ली ताकि हो सकता तो आर्मी में जाता. पर वह भी किश्मत ने साथ नहीं दिया. आर डी सी कैंप में आई साईट कमजोर होने की वजह से रेपुब्लीक डे परेड नहीं कर पाया. और एन . सी सी. सी प्रमाण पत्र से ही काम चलाना पड़ा.
बी.एड किया की एक अच्चहा टीचर बन जायेगे. उसमे भी जगदो जहद जारी है.

कॉलेज में न चाहते हुए भी मुझे एक लड़की से मोहब्बत हो गयी. जिसका नाम था खुशबू ,, शादी के लिए बात की तो उसने संस्कारो की दुहाई देकर बात टाल दी.. फिर वही शुरू हुआ शेरो शायरी का दौर. पूरी जवानी के शुरूआती दौर में उस्तादों से शेरो शायरी और फिर कविसम्मेलं और मुशायरो का दौर शुरू हुआ... घर वालो की नाराजगी बढती चली गयी...खुशबू के जाने के बाद मेरा धयान केंद्रीय विद्यालय की तैयारी के में लग गया, इधर स्कूल में पढ़ाते पढ़ाते मझे सतना के कई नामी गिरामी लोगो से परिचय हुआ. सब मुझे अच्छी तरह से जानने लगे... इस परिचय में मेरी सूरत मेरी काफी सहायक रही. फिर शुरू हुआ एक और नया दौर जिन्दगीका. एक बार
केंद्रीय विद्यालय के टी जी टी बायो के एक्साम फॉर्म के लिए मै बुक स्टाल में खड़ा बात कर रहाथा. की वहा पे एक और लड़की से मेरी दोस्ती हुयी जिसका नाम था रश्मी.
वो भी इसी तरह की कुछ तैयारी कर रही थी.. धीरे धीरे बाते शुरू हुयी मुलाकाते शुरू हुयी और शायद वो मेरे तजुर्बे के अनुसार सच्ची मोहब्बत थी धीरे धीरे हमदोनो एक दुसरे को पसंद करने लगे... लम्बे अरसे के बाद उसने मुझे बताया की उसकी एन्गाजेमेंट कही हओ चुकी है. पर मुझसे मिलने के बाद वो मुझे अपना दोस्त बनाये रखना चाहती है. हमेशा के लिए. शादी के बाद भी... उसने वादा किया की वो मुझसे दोस्ती कभी नहीं तोड़ेगी. हमेशा मेरा साथ देती रहेगी. मरते दम तक. पर मै भी अपनी जिंदगी उसकी वजह से तबाह न करू. अपनी जिन्दगी के लिए एक अच्छा लाइफ पार्टनर खोजू. और उसे उतना ही प्यार दू जितना मैंने उसे किया था. वरना वो मुझसे दोस्ती तोड़ देगी ... उसवक्त मैंने उसकी हर बात को एक वादे की तरह मानते हुए. वैसे ही किया. लगभग पांच साल हो गए. वो आज भी दोस्ती निभा रही है. उसने मुझे अपनी ससुराल में त्युसन भी दिलवाया. मेरी मदद की. मेरे हर फैसले में अपनी राय दी. मेरे ग्रुप चलाने में मेरी हमेशा मदद की.
जब भी मै दुखी हुआ तो मेरे दुःख में सरीख हुयी. ख़ुशी में शामिल हुयी. उसके मायके और ससुराल में मेरे अच्छे सम्बन्ध है. उसकी वजह से उसने मुझे सेंत क्लारेट स्कूल में जॉब भी दिलवाई.. हमेशा फ़ोन में बात भी करती है. पर न जाने क्यों उसकी वजह से मुझे कुछ अच्छा नहीं लगता है.......
.(जारी है....)

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